मिथ्याभास (PARADOX) आने वाले "कल" की फिक्र लिए, हर कोई देखो दौड़ रहा, "सपनों" के पीछे "अपनों" को, कैसे वो पीछे छोड़ रहा । "जीवन" का अर्थ वो भूला है , इस भीड़ का पीछा करने में, अपना "आज" भी उसने खत्म किया, कल के "सपनों" को बुनने में। पर सपने भी तो उसके अपने है, कैसे ना उनकी परवाह करे? जीवन की बेला छोटी है, कैसे ना पूरी चाह करें। वो सही-ग़लत के भेद में , हर रोज़ उलझता जाता है, पर कदम ना उसके रुकते ,और हर भेद सुलझता जाता है। मिथ्याभास के इन भावों को, शब्द कहाँ बयाँ कर पाएंगे, सम-विषम के भेद में, ऐसे ही फँसते जाएँगे.....✒ #nojoto #nojotohindi #poetry #PARADOX #hindipoetry