जिंदगी में यार ये कैसी, सज़ा अब आ रही है, देख सज-संवर के मेरी जाँ क़ज़ा अब आ रही है। तोड़ने के बाद दिल मेरा, न सोचा था नतीज़ा, क्यूँ तुझे संगदिल सनम मेरे, लज़ा अब आ रही है। जिसने मारा था मुझे जीते-जी जो खंज़र कभी, वो, कुछ बची साँसों का लेने, जाइज़ा अब आ रही है। इश्क़ था क्या? उम्र भर मैं पूछ कर उफ़! थक गया था, बाद मरने के मिरे, उसकी रज़ा अब आ रही है। हाल मेरा पूछने को ये हवा के खेल देखो, आशियाँ बर्बाद कर, लेने मज़ा अब आ रही है। आखिरी दीदार का लेने मज़ा दे भी ख़ुदाया, मेरे दिल से तो यही इक इल्तज़ा अब आ रही है। इस सफ़र में जो सभी ने मुझको 'इकराश़' था छोड़ा, देख लो सब माँ मिरी बन वाइज़ा अब आ रही है। कुछ अश'आर हैं। ~ इकराश़ #ग़ज़ल_ए_इकराश़ #YqBaba #YqDidi #इकराश़नामा