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मैं भी अंजान था दिल भी अंजान था, 🙂 सीने में ख्वाह

मैं भी अंजान था दिल भी अंजान था, 🙂
सीने में ख्वाहिशों का एक तूफ़ान था, 💐
हमने समझा जिसे अपने घर का रकीब, 🌥
वो तो आया-गया एक मेहमान था। ☀️🙈
कुछ तेरा काम था कुछ मेरा काम था, 👌
तेरी गलियों में आशिक मैं बदनाम था, 🙂
इतनी शिद्दत से चाहा था तुझको सनम, 🙈
जान निकली तो तुझ पर ही इल्ज़ाम था। 🌺🌷

©dhanraj kachhi धनराज काच्छी
  शायरी एवं गजल dhanraj kachhi धनराज काच्छी