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पी पीकर लहू आज वो लहू लुहान है। देकर दर्द औरो को

पी पीकर लहू आज वो लहू लुहान है। 
देकर दर्द औरो को फिर भी वो महान है। 

कौन जाने तकलीफ बेबसो की यहा। 
हर एक बेबसी जश्न का  सामां है। 

कुदो , नाचो, मनाओ जश्न भरे बाजार में। 
जो बीते एक मां पर ऐसा दिल कहाँ है। 

मर चुकी इंसानियत कहाँ बैठा भगवान है। 
किसको पता कितना लहू मेरे यार का बहाँ है। 

देकर दलिले झूठी फैला रहा नफरत और, 
 कतरा लहू  का पूछ रहा इंसानियत कहाँ है।

ऊंच निच का भाव तुमको भी खा जाएगा। 
रो रोकर पूछेगा तू भी  मगर इंसाफ कहाँ है। 

जाकर देख हर एक रिश्ते की आँखो में, 
प्रतिशोध की ज्वाला में भी, माफी वहां है। 

ना चाहता कोई माँ बाप रोए घर में तेरे। 
दर्द मिले ना मिले  हमदर्दी किस्मत में कहाँ है।
 
मरकर हुआ वो तो अमर इस जहाँ में, 
तेरे हिस्से मे तो नफरतों का जलजला हैं।


 श्रद्धांजलि..... 
जितेन्द्र सरेल

-----ravi------

©ravi parihar #condolence
पी पीकर लहू आज वो लहू लुहान है। 
देकर दर्द औरो को फिर भी वो महान है। 

कौन जाने तकलीफ बेबसो की यहा। 
हर एक बेबसी जश्न का  सामां है। 

कुदो , नाचो, मनाओ जश्न भरे बाजार में। 
जो बीते एक मां पर ऐसा दिल कहाँ है। 

मर चुकी इंसानियत कहाँ बैठा भगवान है। 
किसको पता कितना लहू मेरे यार का बहाँ है। 

देकर दलिले झूठी फैला रहा नफरत और, 
 कतरा लहू  का पूछ रहा इंसानियत कहाँ है।

ऊंच निच का भाव तुमको भी खा जाएगा। 
रो रोकर पूछेगा तू भी  मगर इंसाफ कहाँ है। 

जाकर देख हर एक रिश्ते की आँखो में, 
प्रतिशोध की ज्वाला में भी, माफी वहां है। 

ना चाहता कोई माँ बाप रोए घर में तेरे। 
दर्द मिले ना मिले  हमदर्दी किस्मत में कहाँ है।
 
मरकर हुआ वो तो अमर इस जहाँ में, 
तेरे हिस्से मे तो नफरतों का जलजला हैं।


 श्रद्धांजलि..... 
जितेन्द्र सरेल

-----ravi------

©ravi parihar #condolence
hunnyhunny4705

RAVI PARIHAR

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