मेरे पिया नहीं हैं शौकीन बातें करते बमुश्किल तीन रहते काम में बस तल्लीन उनकी ड्यूटी है रातों दिन हमेशा कहते काम बहुत भारी है, पहनते वर्दी बिल्कुल साफ करते अपराधी को न माफ चाहते सबको मिले इंसाफ संभाले जन-२ का विश्वास नित प्रति उनकी कोशिश जारी है, मेरा भरसक वो रखें ख्याल शांत स्वभाव,न करें बवाल मुझसे न करते कोई सवाल फिर भी मैं बुनती बातों के जाल उलझाना उनको हर बारी है कभी उनकी मान ली बात कभी अपनी ही बात के साथ साधते हर छोटी बड़ी बात बिताते खट्टे मीठे दिन रात ऐसे ही चल रही गृहस्थी की गाड़ी है। मेरे पिया नहीं शौकीन..... मेरे पिया नहीं हैं शौकीन बातें करते बमुश्किल तीन रहते काम में बस तल्लीन उनकी ड्यूटी है रातों दिन हमेशा कहते काम बहुत भारी है, पहनते वर्दी बिल्कुल साफ