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आज भी जो हमसे लिपटा,रूह तेरी का जाल क्यूं आज भी नी

आज भी जो हमसे लिपटा,रूह तेरी का जाल क्यूं
आज भी नींदों जगाता,हाल कर बेहाल क्यूं।
जिन लरजते लब तिरे पे,जान अपनी दे ही दी,
जान का वो दे हवाला,पूछते है हाल क्यूं। #हाले_दिल
आज भी जो हमसे लिपटा,रूह तेरी का जाल क्यूं
आज भी नींदों जगाता,हाल कर बेहाल क्यूं।
जिन लरजते लब तिरे पे,जान अपनी दे ही दी,
जान का वो दे हवाला,पूछते है हाल क्यूं। #हाले_दिल