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मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता ह

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
 लब खामोश है उनकी आँखें सब बोलता है,,
 छुपाएँ दर्द जमाने से लोगों से हँस कर बोलता है,, 

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
अक्सर रहों मैं मिल जाते हैं,
 मुझे देख कर निगाहें अपनी झुका लेता है,,
एक रोज पुछुगीं उनसे, 
हमें देख कर निगाहें क्यु झुका लेता है,, 

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
हर रोज वो पागल मेरी गली मैं आता है, 
मैं कॉलेज निकलु तब वो घर जाता है,, 
खुदा जाने क्या चाहता है,
 हर रोज गली मैं मेरे नज़र आता है,, 

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,,
कभी हँसता कभी उदास रहता है,
पता नहीं वो पागल को क्या हो जाता हैं,, 
हमें देख वो निगाहें चुराता है,
कभी हमें देख वो मुस्कुराता है,,                       (Falak-Noor..,✍️)

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,,, 
मन तो करती है बात करु उनसे,
मगर ये दिल जमाने से डरता है,,
वक़्त आई तो पुछ लुगी एक दिन,
आखिर मेरा ही पता मुझसे क्यों पूछता हैं,,, #NojotoQuote Written-by-Falak-Noor         मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
 लब खामोश है उनकी आँखें सब बोलता है,,
 छुपाएँ दर्द जमाने से लोगों से हँस कर बोलता है,, 

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
अक्सर रहों मैं मिल जाते हैं, 
मुझे देख कर निगाहें अपनी झुका लेता है,,
एक रोज पुछुगीं उनसे,
मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
 लब खामोश है उनकी आँखें सब बोलता है,,
 छुपाएँ दर्द जमाने से लोगों से हँस कर बोलता है,, 

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
अक्सर रहों मैं मिल जाते हैं,
 मुझे देख कर निगाहें अपनी झुका लेता है,,
एक रोज पुछुगीं उनसे, 
हमें देख कर निगाहें क्यु झुका लेता है,, 

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
हर रोज वो पागल मेरी गली मैं आता है, 
मैं कॉलेज निकलु तब वो घर जाता है,, 
खुदा जाने क्या चाहता है,
 हर रोज गली मैं मेरे नज़र आता है,, 

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,,
कभी हँसता कभी उदास रहता है,
पता नहीं वो पागल को क्या हो जाता हैं,, 
हमें देख वो निगाहें चुराता है,
कभी हमें देख वो मुस्कुराता है,,                       (Falak-Noor..,✍️)

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,,, 
मन तो करती है बात करु उनसे,
मगर ये दिल जमाने से डरता है,,
वक़्त आई तो पुछ लुगी एक दिन,
आखिर मेरा ही पता मुझसे क्यों पूछता हैं,,, #NojotoQuote Written-by-Falak-Noor         मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
 लब खामोश है उनकी आँखें सब बोलता है,,
 छुपाएँ दर्द जमाने से लोगों से हँस कर बोलता है,, 

मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, 
अक्सर रहों मैं मिल जाते हैं, 
मुझे देख कर निगाहें अपनी झुका लेता है,,
एक रोज पुछुगीं उनसे,

Written-by-Falak-Noor मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, लब खामोश है उनकी आँखें सब बोलता है,, छुपाएँ दर्द जमाने से लोगों से हँस कर बोलता है,, मुसाफ़िर है मेरे गली का, मेरा ही पता मुझसे पूछता है,, अक्सर रहों मैं मिल जाते हैं, मुझे देख कर निगाहें अपनी झुका लेता है,, एक रोज पुछुगीं उनसे, #Poetry #Love #nojotohindi #nojotopost #pyarpehlibar