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अब ना हंसने को जी करता है, न रोने को जी करता है..

अब ना हंसने को जी करता है, 
न रोने को जी करता है..!!
अपनो को बिखरने से रोकने की
 कोशिश करता रहा,
पर अपने तो अपने मन के निकले,
अब तो इन्हे रोकने का नही, 
खोने को जी करता है ..!!
Satish kaushal

©Satish Kaushal
  अपने तो अपने मन के निकले

अपने तो अपने मन के निकले #कविता

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