सच कहते हो पागल हूं मैं, कि तेरे इंतजार में खुद को जगाये रखता हूं। तेरी यादों से खुद को सताये रखता हूं, कि मेरी ख्वाहिश में अब भी जवां हो तुम, और कहते हो भूल जाऊंगा मैं भी, भूलूं कैसे तुम्हें मेरे जिस्म के हर जर्रे में रवां हो तुम।। और सच कहते हो कि पागल हूं मैं कि मेरे हर ज़ख्म की दवा हो तुम।। हर घड़ी बीत गयी सूनी सूनी सी, बस खत्म करो अब इंतजार का मंजर। तुम आ न सको तो मैं खुद मुक्कमल हो जाऊं, कि पैगाम दो कि कहां हो तुम ।। कि कहां हो तुम।। . . . . Yogesh Sharma कहाँ हो तुम