चलो आज तबियत से सुनाते हैं किस्सा तुम क्यों बन ना पाए हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा तुम्हे ख्वाइश थी ऊंची उड़ानों की मैं सरलता में विश्वास रखता था उस वक़्त मैं तुम्हे बेहद पसंद करता था तुम्हारी चाहतों में रंग भरा करता था धीरे-धीरे तुम निपुण कलाकार बन गयी जानता था कि मेरा इस्तेमाल कर गयी आज भी तुम्हे देखते है और अपना वादा याद करते हैं कोई और आएगा तो मगर तुमसा ना होगा खुद पर इसी तरह काम कर रहे है धीरे-धीरे खुद ही का नाम कर रहे हैं #mera wada