दिल से रिश्तों को निभाने का हुनर रखती हूं मैं सिर पर शर्मो हया का चुनर रखती हूं मै सांझ ढले घर की ओर रुख करती हूं मै अपनों की खुशियों को अपनी खुशियों से आगे रखती हूं मैं दिल मे दबी बातो और सपनों को मार कर भी अपनों के लिए सदा मुस्कुराती हूं बेटी हूं मैं घरी की रौनक ऐसे ही नहीं कही जाती हूं मै #बेटी#घर की रौनक