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तोड़के रस्म ओ रिवाज़ ज़माने के, दो प्यासे जिस्म एक

तोड़के रस्म ओ रिवाज़ ज़माने के,
दो प्यासे जिस्म एक दूजे आज मिल ही गए।

नहीं है फ़िक्र किसी की, अब 
अंज़ाम जो भी हो, ए मेरे गुनाहों के खुदा।

डाल दे दोजख़ की आग में,
या खींच के जिस्म से तन कर दे जुदा।

©Anuj Ray
  # तोड़के रस्म ओ रिवाज़ ज़माने के,
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Anuj Ray

Bronze Star
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# तोड़के रस्म ओ रिवाज़ ज़माने के, #लव

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