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सुना है अब भी मेरे हाथ की लकीरों में, 🌥 नजूमियों

सुना है अब भी मेरे हाथ की लकीरों में, 🌥
नजूमियों को मुक़द्दर दिखाई देता है। 🌻😲☀️😊
मौजों से खेलना तो सागर का शौक है, 💐
लगती है कितनी चोट किनारों से पूछिये। 😲🌷🙃☀️
मेरे किस्से सर-ए-बाज़ार उछाले उसने, 🌈
जिसका हर ऐब ज़माने से छुपाया मैंने। 🌺🌥🌈🙌
कट गया पेड़ मगर ताल्लुक की बात थी, 🙃
बैठे रहे ज़मीन पर वो परिंदे रात भर। 😎🤐🙈😎

©NI Sahil
  Muqaddar Dikhai deta hai
nisahil6279

NI Sahil

Bronze Star
New Creator

Muqaddar Dikhai deta hai #विचार

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