बची हैं कोई परिन्दा भी पर मारता नहीं सावन के झूले अब कोई हिलाता नहीं परिन्दें,,बेटियाँ खोने लगी है आसमां में जमीं पे बैठा इन्सान भी आवाज़ उठाता नहीं ©Rajeev Bhardwaj लेखक #खालीजगह #नोजोतोहिन्दी