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किसी ने क्या खूब कहा है, कि न जाने कैसे कैसे ख्य

किसी ने क्या खूब कहा है,


कि न जाने कैसे कैसे ख्यालो मे खो जाते थे हम।

कोई डांट भी देता था तो रो जाते थे हम।

और आज तो नींद की गोलियां खा कर भी नींद नही आती।
पहले तो माँ की एक लोरी मे सो जाते थे हम। आज तो नींद की गोलियां खा कर भी नींद नही आती
किसी ने क्या खूब कहा है,


कि न जाने कैसे कैसे ख्यालो मे खो जाते थे हम।

कोई डांट भी देता था तो रो जाते थे हम।

और आज तो नींद की गोलियां खा कर भी नींद नही आती।
पहले तो माँ की एक लोरी मे सो जाते थे हम। आज तो नींद की गोलियां खा कर भी नींद नही आती