Shadi मुझे कभी-कभी तुम समझ नहीं आती हो... सांझ ढले सूरज सी नज़र तुम आती हो...! तुमसे मिलने का तो बहुत ही मन करता है पर क्या करूँ, तुम मिलने का वक्त और पता ही कहाँ बताती हो...!! ××××××××××××××××××××××××××××××××××××××××× मुझे कभी-कभी तुम समझ नहीं आती हो... हाँ मुझे कभी-कभी तुम समझ नहीं आती हो... दर वक़्त ख़ुद को busy तुम बताती हो.., कोई ग़र पसंदीदा कुछ पूछे खाने में.., तो dry fruits में काजू तुम बताती हो... पर फिर भी, हो चाहे कुछ भी..., Ooo my dear Bsy Girl...., मुझे कभी-कभी तुम समझ नहीं आती हो ×××××××××××××××××××××××××××××××××××××××× Rj Prashant Dear busy girl... new poetry