अपने जब पराये हो जाते हैं, जो अपने पराये हो जाए वो अपने कैसे जो पूरे ना हो सकें वो सपने कैसे फिर भी जब अपने पराये हो जाते है।दिल से आह निकलती है। मोम भी पत्थर बन जाता है। जान पीर सी पिघलती है।। देखकर सुकून तो मिलता है कि खुश है वो जाओ माफ किया पर सिर्फ दिखावे का पता चलता है तो जान निकलती है।। अपने हुए पराये.।