इक आग जल रही है वो उम्र ढल रही है जिदँगी एक रोज तूने अपना बनाया मुझको, यकीनन बहुत कुछ तूने सिखाया मुझको, आखिर मेरा कसूर ही क्या था जो इतना तूने तडपाया मुझको. जिदँगी एक रोज तूने अपना बनाया मुझको, यकीनन बहुत कुछ तूने सिखाया मुझको, आखिर मेरा कसूर ही क्या था जो इतना तूने तडपाया मुझको....