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सूरज 🍁🍁🍁🍁🍁🍁 ब्रिज के ऊपर खड़ा हूं मैंने देखत

सूरज
🍁🍁🍁🍁🍁🍁
ब्रिज के ऊपर खड़ा हूं मैंने
देखता हू सूरज की अस्त।
गगन मै स्वच्छ सफेट के छाया
 गोला जैसा दिखता है मस्त।
कितनी सुन्दर पीला रंग बेस
गगन के माथे  सिंदूर  तिकिली।
 सागर के पानी में झलकती है 
पीला मोती से खिलता निकली।
 बहारों की ठंडी हवा बहती है
दिल के अंदर को छु जाता है।
पंछियों का लौटने के वक्त है
अना जाना खूब लगा रहा है।
 खामूसी से सूरज देख रहा है
वही वक्त वो भी थक चुका है।
दीप बुझने से पहले पहले वो
 झलक देती है जोर संदार से।
सूरज तो हर दिन निकलता है
 सुंदर दिखता है उसी पल से।

©Sri batsa Meher
  सूरज की अस्त

सूरज की अस्त #कविता

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