ख़ामोश हो जुबां, तो बोलती हैं आँखें। राज़ हर दिलों का,अब खोलती हैं आँखें।। है सच बात ये भी , तुमने देखा तो होगा। खुशी है की ग़म, बता देती हैं आँखें।। अज़ब सा मंज़र है, मेरे दिल की दुनिया में। छलक कर सब कुछ, जता देती हैं आँखें।। मिले न नज़र अब, किसी और महजबीं से। पलकें झुका कर , बचा लेती हैं आँखें।। होती नहीं दूर अब , उसकी सुरत मुझसे। यादों में उसको , बुला लेती हैं आँखें।। मिला न कभी जो,तुझे हक़ीक़त में "सानी"। वो ख़्वाबों में मुझको, देती हैं आँखें ।। (Saani) ©Md Shaukat Ali "Saani" #Eyesspeaks #ग़ज़ल_غزل