White कहता है जमाना, बदसलूक है जुबां मेरी। पर तेरे लिए नहीं, तू ख़ास है, जमाने से नहीं। तलब किया है एक चिराग बनूं मैं खुशियों का तेरी। ना हो खफा तू मुझसे ये इल्तजा है रब से मेरी। चेहरा उठाकर देखे जब तू आसमा को, खुला आसमा खुले हाथ हो। बारिश की बूँदें, सुनहरी धूप को चीरते हुए, तेरे चेहरे पर आ गिरे कोई। काश वो पहली चमकती बूँद बन जाऊं मैं तेरी। बिखर जाता मैं गुलाब की पंखुड़ियों सा तेरी खुशियाँ बनकर। खास तेरी खुशियों में एक नाम मेरा भी आए कभी। कहता है जमाना बदसलूक है जुबां मेरी। तेरे लिए नहीं, तू ख़ास है, जमाने से नहीं। ©Ajay Singh Bisht #yari #Dosti #firendshipforever #friendsforlife #friendahip