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हदे पार की,खुद को भुला दिया सरहद में जीना ,उन्होंन

हदे पार की,खुद को भुला दिया
सरहद में जीना ,उन्होंने सीखा दिया
क्या नही कर गुजरे जिनके एक आदेश पर 
नाफरमानी का इल्जाम भी उन्होंने ही लगा दिया
हदे पार की,खुद को भुला दिया....
दौर वक्त का ऐसा भी आया
खामी सारी बताकर,दोष भी हमीं पर लगाया
हजारों की गलती पर, इक कशुरवार हमे ही ठहराया
चमक पर मरती है ये दुनिया
संदेश यही समझ आता है
किसी के लिए भी खुद को भुलाना
एक दिन पागल बना जाता है
जहां से शुरू होते हैं मसले
संभलना वही से जरूरी होता है
इक बात , इक याद और पुराना सा जख्म कोई
संभलने के लिए बहुत होता है
सबका मत हो जब एक तरफा 
न शिकवा किया जाता है और न शिकायत
बस खुद पर ध्यान दिया जाता है...बस खुद पर ध्यान दिया जाता है।।

©Neha Bhargava (karishma)
  #हद