यह सादगी जो तुमने अपना रखी है यही तो जमा पूंजी लगा रखी है तुम ढूंढते हो हमेशा रौशनी अंधेरों में चिराग तुम खुद हो यह बात छुपा रखी है अमूल हो या अमूल्य खुद जानते नही हर किरदार की कीमत बता रखी है तुम्हारा हौसला न कभी खत्म होगा हम जानते है अपनी ही जैसी लाखों मशाल जला रखी हैं ©Irfan Saeed Writer #मशाल #नोजोटो #Nojoto #Hindi #Poetry #shayri Akhil Sharma sk. manjur Ehsaas"(Sad)"Radio poetry Rajeev Bhardwaj लेखक NIKHAT