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#वेदों_में_है_ब्रह्मांड_का_ध्वनि_विज्ञान वेद ज्ञा

#वेदों_में_है_ब्रह्मांड_का_ध्वनि_विज्ञान

वेद ज्ञान को आधार मान कर न्यूलैंड के एक वैज्ञानिक स्टेन क्रो ने एक डिवाइस विकसित कर लिया। ध्वनि पर आधारित इस डिवाइस से मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जाती है। इसे बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। भारत के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओमप्रकाश पांडे के मुताबिक इस डिवाइस का नाम भी ‘ओम’ डिवाइस रखा गया है , उन्होंने कहा कि संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है कि इसकी रचना ब्रह्मांड की ध्वनियों से हुई है।

उन्होंने बताया कि गति सर्वत्र है। चाहे वस्तु स्थिर हो या गतिमान। गति होगी तो ध्वनि निकलेगी। ध्वनि होगी तो शब्द निकलेगा। सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से नौ रश्मियां निकलती हैं और ये चारों और से अलग-अलग निकलती है। इस तरह कुल 36 रश्मियां हो गई। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब नौ रश्मियां पृथ्वी पर आती है तो उनका पृथ्वी के आठ बसुओं से टक्कर होती है। सूर्य की नौ रश्मियां और पृथ्वी के आठ बसुओं की आपस में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुई वे संस्कृत के 72 व्यंजन बन गई। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली कुल 108 ध्वनियां पर संस्कृत की वर्ण माला आधारित है।
उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड की ध्वनियों के रहस्य के बारे में वेदों से ही जानकारी मिलती है। इन ध्वनियों को नासा ने भी माना है। इसलिए यह बात साबित होती है कि वैदिक काल में ब्रह्मांड में होने वाली ध्वनियों का ज्ञान ऋषियों को था।
वेद का प्रत्येक शब्द योगिक है। जैसे कुरान में अकबर का नाम होने से कुरान को मुगल बादशाह अकबर के बाद का नहीं माना जा सकता। इसी प्रकार कृष्ण, अर्जुन, भारद्वाज आदि नाम वेदों में होने से उनको वेद से पहले नहीं माना जा सकता। वेदों के शब्द पहले के और मनुष्यों के बाद के हैं। योगिक अर्थ की एक झलक इस प्रकार है :
भारद्वाज=मन, अर्जुन=चन्द्रमा, कृष्ण=रात्रि। 
जिन्होंने योगिक अर्थो को समझा उन्होंने ऐसी-ऐसी खोज की, भला कैसी? तो जानिए..
1 प्लास्टिक सर्जरी : माथे की त्वचा द्वारा नाक
की मरम्मत
सुश्रुत (4000 -2000 ईसापूर्व )
एक जर्मन विज्ञानी (1968 )
2 कृत्रिम अंग ऋग्वेद (1-116-15)
3 गुणसूत्र गुणाविधि – महाभारत
4 गुणसूत्रों की संख्या 23 महाभारत
5 कान की भोतिक रचना (Anatomy) ऋग्वेद
6 गर्भावस्था के दूसरे महीने में भ्रूण
के ह्रदय की शुरुआत
ऐतरेय उपनिषद 6000
7 महिला अकेले से वंशवृद्धि प्रजनन – कुंती और
माद्री :- पांडव महाभारत : टेस्ट ट्यूब बेबी
8 अ) केवल डिंब(ovum) से ही महाभारत Not possible yet
9 ब) केवल शुक्राणु से ही ऋग्वेद & महाभारत Not possible yet
10 c) डिंब व शुक्राणु दोनों से महाभारत Steptoe, 1979
11 भ्रूणविज्ञान ऐतरेय उपनिषद
12 विट्रो में भ्रूण का विकास महाभारत
13 पेड़ों और पौधों में जीवन महाभारत Bose,19th century.
14 मस्तिष्क के 16 कार्य ऐतरेय उपनिषद 19-20th Century
15 जानवर की क्लोनिंग (कत्रिम उत्पति ) ऋग्वेद —
16 मनुष्य की क्लोनिंग मृत राजा वीणा से पृथु अभी तक नही
17 अश्रु – वाहिनी आंख को नाक से जोडती है
Halebid,Karnataka के शिव मंदिर में एक व्यक्ति को द्वार चौखट में दर्शाया गया है
20th century AD
18. कंबुकर्णी नली (Eustachian Tube ) आंतरिक
कान को ग्रसनी (pharynx) से जोड़ती है
Halebid,Karnataka के शिव मंदिर में शिव गणों को द्वार चौखट में दर्शाया गया है
20th century AD
19 श्याम विविर (Black Holes) Vishvaruchi (मांडूक्य उपनिषद) 20th Century
20 सूरज की किरणों में सात रंग ऋग्वेद (8-72-16)

#We_support_hindutava_unity

©Raju Mandloi #Sanatancultureisbackinsuperheroform
#वेदों_में_है_ब्रह्मांड_का_ध्वनि_विज्ञान

वेद ज्ञान को आधार मान कर न्यूलैंड के एक वैज्ञानिक स्टेन क्रो ने एक डिवाइस विकसित कर लिया। ध्वनि पर आधारित इस डिवाइस से मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जाती है। इसे बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। भारत के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओमप्रकाश पांडे के मुताबिक इस डिवाइस का नाम भी ‘ओम’ डिवाइस रखा गया है , उन्होंने कहा कि संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है कि इसकी रचना ब्रह्मांड की ध्वनियों से हुई है।

उन्होंने बताया कि गति सर्वत्र है। चाहे वस्तु स्थिर हो या गतिमान। गति होगी तो ध्वनि निकलेगी। ध्वनि होगी तो शब्द निकलेगा। सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से नौ रश्मियां निकलती हैं और ये चारों और से अलग-अलग निकलती है। इस तरह कुल 36 रश्मियां हो गई। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब नौ रश्मियां पृथ्वी पर आती है तो उनका पृथ्वी के आठ बसुओं से टक्कर होती है। सूर्य की नौ रश्मियां और पृथ्वी के आठ बसुओं की आपस में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुई वे संस्कृत के 72 व्यंजन बन गई। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली कुल 108 ध्वनियां पर संस्कृत की वर्ण माला आधारित है।
उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड की ध्वनियों के रहस्य के बारे में वेदों से ही जानकारी मिलती है। इन ध्वनियों को नासा ने भी माना है। इसलिए यह बात साबित होती है कि वैदिक काल में ब्रह्मांड में होने वाली ध्वनियों का ज्ञान ऋषियों को था।
वेद का प्रत्येक शब्द योगिक है। जैसे कुरान में अकबर का नाम होने से कुरान को मुगल बादशाह अकबर के बाद का नहीं माना जा सकता। इसी प्रकार कृष्ण, अर्जुन, भारद्वाज आदि नाम वेदों में होने से उनको वेद से पहले नहीं माना जा सकता। वेदों के शब्द पहले के और मनुष्यों के बाद के हैं। योगिक अर्थ की एक झलक इस प्रकार है :
भारद्वाज=मन, अर्जुन=चन्द्रमा, कृष्ण=रात्रि। 
जिन्होंने योगिक अर्थो को समझा उन्होंने ऐसी-ऐसी खोज की, भला कैसी? तो जानिए..
1 प्लास्टिक सर्जरी : माथे की त्वचा द्वारा नाक
की मरम्मत
सुश्रुत (4000 -2000 ईसापूर्व )
एक जर्मन विज्ञानी (1968 )
2 कृत्रिम अंग ऋग्वेद (1-116-15)
3 गुणसूत्र गुणाविधि – महाभारत
4 गुणसूत्रों की संख्या 23 महाभारत
5 कान की भोतिक रचना (Anatomy) ऋग्वेद
6 गर्भावस्था के दूसरे महीने में भ्रूण
के ह्रदय की शुरुआत
ऐतरेय उपनिषद 6000
7 महिला अकेले से वंशवृद्धि प्रजनन – कुंती और
माद्री :- पांडव महाभारत : टेस्ट ट्यूब बेबी
8 अ) केवल डिंब(ovum) से ही महाभारत Not possible yet
9 ब) केवल शुक्राणु से ही ऋग्वेद & महाभारत Not possible yet
10 c) डिंब व शुक्राणु दोनों से महाभारत Steptoe, 1979
11 भ्रूणविज्ञान ऐतरेय उपनिषद
12 विट्रो में भ्रूण का विकास महाभारत
13 पेड़ों और पौधों में जीवन महाभारत Bose,19th century.
14 मस्तिष्क के 16 कार्य ऐतरेय उपनिषद 19-20th Century
15 जानवर की क्लोनिंग (कत्रिम उत्पति ) ऋग्वेद —
16 मनुष्य की क्लोनिंग मृत राजा वीणा से पृथु अभी तक नही
17 अश्रु – वाहिनी आंख को नाक से जोडती है
Halebid,Karnataka के शिव मंदिर में एक व्यक्ति को द्वार चौखट में दर्शाया गया है
20th century AD
18. कंबुकर्णी नली (Eustachian Tube ) आंतरिक
कान को ग्रसनी (pharynx) से जोड़ती है
Halebid,Karnataka के शिव मंदिर में शिव गणों को द्वार चौखट में दर्शाया गया है
20th century AD
19 श्याम विविर (Black Holes) Vishvaruchi (मांडूक्य उपनिषद) 20th Century
20 सूरज की किरणों में सात रंग ऋग्वेद (8-72-16)

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©Raju Mandloi #Sanatancultureisbackinsuperheroform
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