छोटू था एक मतवाला सा, कुछ खुशमिजाज कुछ मुर्झाया स

छोटू था एक मतवाला सा, 
कुछ खुशमिजाज कुछ मुर्झाया सा, 
छूट चूका पचपन उसका पीछे था, 
फिर भी वो अपने नन्हें कदमों से
 कई मिलो की दुरी मापता था, 
अनाथ हो कर भी वो कभी ना उदास था,                 
पढ़ने पर भी हासिल नहीं होती
 वो तजुर्बा जमाने का उसे पास था, 
वो मेरे घर के सामने के ढाबे पर
 काम करने वाला
" छोटू" था
छोटू था एक मतवाला सा, 
कुछ खुशमिजाज कुछ मुर्झाया सा, 
छूट चूका पचपन उसका पीछे था, 
फिर भी वो अपने नन्हें कदमों से
 कई मिलो की दुरी मापता था, 
अनाथ हो कर भी वो कभी ना उदास था,                 
पढ़ने पर भी हासिल नहीं होती
 वो तजुर्बा जमाने का उसे पास था, 
वो मेरे घर के सामने के ढाबे पर
 काम करने वाला
" छोटू" था