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ये जो वक़्त है, इस वक़्त को थोड़ा सा वक़्त चाहिए,

ये जो वक़्त है, इस वक़्त को थोड़ा सा वक़्त चाहिए,
प्रकृति ने जो कयामत दिखाई है,
उससे उबरने का थोड़ा सा वक़्त चाहिए।
प्रकृति से खिलवाड़ करने वालों,
आज खुद प्रकृति ने तुम्हें प्लास्टिक में बंद कर दिया।।

कल तक जहां बच्चों की किलकारियां,
गुब्बारे, खिलौने, चाट के मेले दिखते थें,
आज हर तरफ सुनसान सड़कें दिखाई पड़ते हैं।


कल तक जहां लोग गले मिलते थें,
आज देख कर मुंह मोड़ते हैं।
कलयुग का यह दृश्य निराला है,
पृथ्वी बोझिल और हवा महंगी हो गयी है।।

रिश्तों का कोई अर्थ नहीं,
अपने परायों में कोई फर्क नहीं।
भगवान का ये कैसा करिश्मा है,
इंसान इंसान से डर रहा है।।

फिर भी दिल में इक छोटी सी उम्मीद है,
कल फिर एक नया सूरज उगेगा।
फिर से सूनी बस्ती आबाद होगी,
जिंदगी बेखौफ और हवा सस्ती होगी।।

ये जो वक़्त है इस वक़्त को थोड़ा सा वक़्त चाहिए।।

©Daily_Diary #Nodiscrimination #coronatime #quarantinedays
ये जो वक़्त है, इस वक़्त को थोड़ा सा वक़्त चाहिए,
प्रकृति ने जो कयामत दिखाई है,
उससे उबरने का थोड़ा सा वक़्त चाहिए।
प्रकृति से खिलवाड़ करने वालों,
आज खुद प्रकृति ने तुम्हें प्लास्टिक में बंद कर दिया।।

कल तक जहां बच्चों की किलकारियां,
गुब्बारे, खिलौने, चाट के मेले दिखते थें,
आज हर तरफ सुनसान सड़कें दिखाई पड़ते हैं।


कल तक जहां लोग गले मिलते थें,
आज देख कर मुंह मोड़ते हैं।
कलयुग का यह दृश्य निराला है,
पृथ्वी बोझिल और हवा महंगी हो गयी है।।

रिश्तों का कोई अर्थ नहीं,
अपने परायों में कोई फर्क नहीं।
भगवान का ये कैसा करिश्मा है,
इंसान इंसान से डर रहा है।।

फिर भी दिल में इक छोटी सी उम्मीद है,
कल फिर एक नया सूरज उगेगा।
फिर से सूनी बस्ती आबाद होगी,
जिंदगी बेखौफ और हवा सस्ती होगी।।

ये जो वक़्त है इस वक़्त को थोड़ा सा वक़्त चाहिए।।

©Daily_Diary #Nodiscrimination #coronatime #quarantinedays