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खुला ही रह गया था मुँह कलियों का अवाक यूँ नाज़ुक ओ

खुला ही रह गया था मुँह कलियों का अवाक यूँ
नाज़ुक ओ अंदाज़ महबूब से मिलाया उन्हें जो
.
धीर
 अवाक
खुला ही रह गया था मुँह कलियों का अवाक यूँ
नाज़ुक ओ अंदाज़ महबूब से मिलाया उन्हें जो
.
धीर
 अवाक

अवाक