लिखने का मुझे जुनून नहीं, पर आपको सोच कर लिख देता हूं। हर लम्हा मुझे मजबूर नहीं करता, पर अक्सर की बातें लिख देता हूं। मैं खुशी बढ़ाने के लिए नहीं, गम छुपाने के लिए लिख देता हूं। लिखना मेरी आदत में शामिल नहीं, पर दिल की तसल्ली के लिख देता हूं। वफाएं की हैं मैने बहुत, पर अक्सर बे - वफाई पे लिख देता हूं। लोगो को शायद मेरा लिखना पसंद ना आए, तो हौसलों को बुलंद कर लिख देता हूं। क्या पता कब मौत आ जाए लिखते - लिखते, तो अपनी सांसों को भी लिख देता हूं। #लिख_देता_हूं