मेरे ख़्याल ही, अब तो जैसे मेरे दुश्मन बन गए। रहते हैं मेरे दिल में, पर मोहब्बत-ए-यार बन गए। वस्ल की चाहत के, ख्याल आने लगे हैं रात-दिन। जाने कैसे, कब, वो हमारे और हम उनके बन गए। 🌝प्रतियोगिता-42 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷" मेरे ख़्याल"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I