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कोरे कागज की कश्ती को, कोई सहारा मिल जाए । कलम खिव

कोरे कागज की कश्ती को,
कोई सहारा मिल जाए ।
कलम खिवैया गुरु किनारा,
ज्ञान मिले जीवन खिल जाए ।।

शब्दों का भंडार जहाँ है,
जीवन का प्रकाश वहाँ है ।
संस्कार की खान जहां है,
जगत का वरदान वहाँ है ।।

नर सम्मानित मोतियों को,
कोई सूत्रधार मिल जाए ।
गुरु सन्मार्ग दिखाने वाला,
ज्ञान मिले जीवन खिल जाए ।।

गुरु ब्रह्मा समान ज्ञाता,
विष्णु समान परम विधाता।
शिव समान सत्य अविनाशी,
गुरु ही सबका काबा काशी ।।

वर्णों से शब्द, शब्दों से वाक्य,
वाणी में घुल मिल जाए ।
वर्णमाला के समान गुरु,
ज्ञान मिले जीवन खिल जाए ।।

©Satish Kumar Meena
  #Gurupurnima 
गुरु: एक सूत्रधार

#Gurupurnima गुरु: एक सूत्रधार #कविता

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