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प्रथम सर्ग जय हों, जग में जले जहाँ भी,नमन पुनीत अ

प्रथम सर्ग

जय हों, जग में जले जहाँ भी,नमन पुनीत अनल को, 
जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को,। 
किसी वस्तु पर खिले विपिन में, पर नमस्य है फूल, 
सुधि खोजते नहीं गुणों का आदि, शक्ति का मूल,।

©Bunny
  #रश्मिरथी
प्रथम सर्ग

जय हों, जग में जले जहाँ भी,नमन पुनीत अनल को, 
जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को,। 
किसी वस्तु पर खिले विपिन में, पर नमस्य है फूल, 
सुधि खोजते नहीं गुणों का आदि, शक्ति का मूल,।

©Bunny
  #रश्मिरथी
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