Alone *बंद आंखे खोल रुक रुक के चलने लगा हूं , कहीं टूटे काच तो नहीं चुब ने लगे है ? ....* *शायद पैर दलदल में फसने लगे हैं !* *हो मखमल के रास्ते ख़तम होने लगे हैं ....* *लगता है बचपन की खुशियां छोड़* *कदम जवानी की जिम्मेदरियो की ओर बढ़ने लगे हैं* 🙌 ©impure poet #Childhood #responsibility #comewithme #Struggle #i #we #all #God #alone