सादगी चेहरे पे और ठहरे हुए कदम ।। तेरी मुस्कुराहटों पे मरते रहे सनम ।। दीदार तेरा चांद भी देखो कर रहा है , उतरी जमी पे चाँदनी तेरा है करम ।। ज्ञानेन्द्र प्रकाश साहू