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इक पेड़ का पत्ता टूट के गिरा है! हाथों में मैनें

इक पेड़ का पत्ता टूट के गिरा है! 
हाथों में मैनें उठा लिया हैं! 

ऐसा लगा मुझें पेड़ ने भी अपने
दर्द को पतझड़ के मौसम में सारे 

पत्ते टूट के गिरने के दर्द को
आंसुओं के रूप में बहा लिया है!
 
प्रकृति के अनुसार मौसम बदलता है! 
कई रूपों में मौसम में ढलता हैं! 

पेड़ पे पत्ते आते है! 
और चलें जाते है! 

वसंत के दिनों में 
मौसम भी खिल जातें है! 

इन पेड़ों की डालियों पे
कोयल भी गुनगुनाने लगती हैं! 

सबके मन को अपनी आवाज़
से कोमलता से भरनें लगती हैं! 

इक पत्ता टूट के गिरा है
 हाथों में उठा लिया है! 

पेड़ को देख के ऐसा लगा 
मुझें पेड़ ने भी पत्ता टूट

 के गिराने पे अपनें अंगों 
को अधूरा महसूस किया है!
Date 4/07/2021
Time 8: 30am
Day Sunday

©abhishek sharma #OneSeason 
#Nojoto 
#Quote 
#पेड़ 
#hindipoetry 
#poem 
#byaks2021
इक पेड़ का पत्ता टूट के गिरा है! 
हाथों में मैनें उठा लिया हैं! 

ऐसा लगा मुझें पेड़ ने भी अपने
दर्द को पतझड़ के मौसम में सारे 

पत्ते टूट के गिरने के दर्द को
आंसुओं के रूप में बहा लिया है!
 
प्रकृति के अनुसार मौसम बदलता है! 
कई रूपों में मौसम में ढलता हैं! 

पेड़ पे पत्ते आते है! 
और चलें जाते है! 

वसंत के दिनों में 
मौसम भी खिल जातें है! 

इन पेड़ों की डालियों पे
कोयल भी गुनगुनाने लगती हैं! 

सबके मन को अपनी आवाज़
से कोमलता से भरनें लगती हैं! 

इक पत्ता टूट के गिरा है
 हाथों में उठा लिया है! 

पेड़ को देख के ऐसा लगा 
मुझें पेड़ ने भी पत्ता टूट

 के गिराने पे अपनें अंगों 
को अधूरा महसूस किया है!
Date 4/07/2021
Time 8: 30am
Day Sunday

©abhishek sharma #OneSeason 
#Nojoto 
#Quote 
#पेड़ 
#hindipoetry 
#poem 
#byaks2021