माँ मै इस दुनिया मे फ़िर नहीं आउंगी, आपकी आँखों के सामने तड़प -तड़प कर नहीं जी पाऊँगी ! पहले ही बहुत दर्द सहकर दुनिया से गयी थी, तब भी मेरी माँ इतनी ही तड़पी थी , अब और तुझे न तड़पाऊँगी। माँ मै इस दुनिया में फ़िर नहीं आउंगी ! ज़ालिम दुनिया के होते है ये सितम , जो मै फ़िर न सह पाऊँगी ! किसी कि आँखों का तारा, तो किसी की आँखों की जलन बन जाउंगी। किसी के दिल की रौशनी, तो किसी के घर का अँधेरा बन जाउंगी। किसी के मुँह में निवाला डालूंगी , तो किसी कि भूख का शिकार बन जाउंगी। कहीं पूजा करने की आस्था, तो कहीं तिरस्कार का सामान बन जाउंगी। मुह खोले सड़कों पर घूमते है यहाँ भेड़िये ,उनकी हवस का शिकार बन जाउंगी। माँ मै फ़िर इस दुनिया में नहीं आउंगी। मेरी वजह से बहुत रोयी थी तू ,अब और न रुलाऊंगी। मै फिर कभी तेरे आँगन को महकाने नहीं आउंगी। लेखक :- राहुल कान्त ©Raahul Kant माँ मै इस दुनिया मे फ़िर नहीं आउंगी, आपकी आँखों के सामने तड़प -तड़प कर नहीं जी पाऊँगी ! पहले ही बहुत दर्द सहकर दुनिया से गयी थी, तब भी मेरी माँ इतनी ही तड़पी थी ,अब और तुझे न तड़पाऊँगी। माँ मै इस दुनिया में फ़िर नहीं आउंगी ! ज़ालिम दुनिया के होते है ये सितम , जो मै फ़िर न सह पाऊँगी !