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कहानी यहाँ सब ,की एक जैसी है किरदार बस ,अलग अलग है

कहानी यहाँ सब ,की एक जैसी है
किरदार बस ,अलग अलग है
मंजिल सबकी एक है, बस रास्तों
का फ़ासला है
हर किसी की आरज़ू है 
की सब 
कुछ पा लूँ में, लुटाने की 
गुजरिश् करता है, कौन यहाँ
हम जिंदगी भर, भागते है, 
सुख चैन खोकर
आराम करता है, कौन यहाँ
चाहत और आरज़ू लिए हर
कोई भागता है,
रुकता किसके, लिए कौन है, यहाँ
रब भी सोचता होगा, क्या अजब
इंसान बनाया मैने, दिल दिया
दिमाग दिया, एहसास ,दिया
गुण दिया, रूप, दिया, 
और इंसानो ने, अपनी आरजूओं 
के नशे में मुझको ही भुला दिया
कहानी हर इंसान की एक सी है, 
बस किरदार अलग अलग है.

©पथिक
  #wah re insaan

#Wah re insaan #कविता

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