Nojoto: Largest Storytelling Platform

किसी फूल को छूकर जैसा अहसास होता मेरी उंगलियों को

किसी फूल को छूकर जैसा
अहसास होता मेरी उंगलियों 
को, उसका पैमाना नहीं...
उसकी छुअन मन पर और
उसकी महक बस जाती है 
उंगलियों की सतह पर!
सच, बस उतने ही अपनेपन
की गुजारिश रखती हूं साहेब,
जो अगर तनिक गुंजाइश हो! किसी फूल को छूकर जैसा
अहसास होता मेरी उंगलियों 
को, उसका पैमाना नहीं...
उसकी छुअन मन पर और
उसकी महक बस जाती है 
उंगलियों की सतह पर!
सच, बस उतने ही अपनेपन
की गुजारिश रखती हूं साहेब,
किसी फूल को छूकर जैसा
अहसास होता मेरी उंगलियों 
को, उसका पैमाना नहीं...
उसकी छुअन मन पर और
उसकी महक बस जाती है 
उंगलियों की सतह पर!
सच, बस उतने ही अपनेपन
की गुजारिश रखती हूं साहेब,
जो अगर तनिक गुंजाइश हो! किसी फूल को छूकर जैसा
अहसास होता मेरी उंगलियों 
को, उसका पैमाना नहीं...
उसकी छुअन मन पर और
उसकी महक बस जाती है 
उंगलियों की सतह पर!
सच, बस उतने ही अपनेपन
की गुजारिश रखती हूं साहेब,
shree3018272289916

Shree

New Creator