सोचो अगर किसान ना होता तो क्या होता.. वतन का बच्चा-बच्चा भूखा बिलखता रोता.. बतहाशा मेहनत कर के आखिर इसने क्या पाया की तरसती सी ज़िन्दगी जिये कर्ज़ ने दबाया... बो कर एक बीज लेहलहाती फ़सल उगाता है.. अवाम का पेट भरने मे खून पसीना बहाता है.. खुद भूखा रेहता है बच्चों को भूखा सुलाता है ज़िन्दगी भर की मेहनत का ये सिला पाता है कर्ज़ में डूबा किसान खुद्खुशी को मजबूर हो जाता है.. #किसान