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आधी रात में मेरी कँपकँपी सात रजाइयों में भी न रुकी

आधी रात में
मेरी कँपकँपी सात रजाइयों में भी न रुकी
सतलुज मेरे बिस्तर पर उतर आया
सातों रजाइयाँ गीली
बुखार एक सौ छह, एक सौ सात
हर साँस पसीना-पसीना
युग को पलटने में लगे लोग
बुख़ार से नहीं मरते

©Kavisthaan
  आधी रात

#boatclub
rohandavesar5500

Kavisthaan

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आधी रात #boatclub #कविता

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