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#OpenPoetry मैं लम्हा-ए-इश्क नहीं करता टूटी इमारत

#OpenPoetry मैं लम्हा-ए-इश्क नहीं करता 
टूटी इमारतों में "नाज़िम" फरयाद नहीं करता
अकेला मुनासिफ की ज़िन्दगी ज़ि रहा हु 
खुशहाल हूं मुश्कुराहट में अपनी
तमाम-ए-उम्र बेबफा की याद में नहीं ज़ि रहा।। लम्हा-ए-इश्क
#टूटी  
#मुनासिफ 
#इमारतों   
#khnazim
#OpenPoetry मैं लम्हा-ए-इश्क नहीं करता 
टूटी इमारतों में "नाज़िम" फरयाद नहीं करता
अकेला मुनासिफ की ज़िन्दगी ज़ि रहा हु 
खुशहाल हूं मुश्कुराहट में अपनी
तमाम-ए-उम्र बेबफा की याद में नहीं ज़ि रहा।। लम्हा-ए-इश्क
#टूटी  
#मुनासिफ 
#इमारतों   
#khnazim
khnazim8530

Kh_Nazim

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