ना तू बता अपनी खाता ना मैं अपनी खाता किसकी थी गलती, मिली क्या सज़ा कौन रखता है हिसाब लाइलाज शख्स की जिंदगी के सामने बिछा दे अपना सारा रुआब, नई उम्मीदों को दावत दो, नींद की पलकें ज़वाब देंगी... बरखुद्दार.. होना तो है तुम्हें बे हिसाब,, Akhii.. #WarandPeace