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बेटी बचाओ यह उजालों सी बाहखड़ी ब

बेटी बचाओ  
यह उजालों सी बाहखड़ी बेटियां।
देर तक खिल खिलाकर हंसी बेटियां।।
दिन की परछाई सी अचानक बढ़ी।
ना जाने कब बड़ी हुई  बेटियां।।
घर की आंगन में चिड़ियों सी चहककरी।
देखते ही देखते उड़ी बेटियां।।
मौसमों की तरह आती जाती रही।
दूर परदेस में जा बसी बेटियां।।
छोड़कर परछाई हल्दी भरे हाथ की।
सिसकियां  सिसकिया लो चली  बेटियां।।
बेटियां घर में आई हंसी गूंजती।
कहकहों की सुबह सी लगी बेटियां।।
बेटियां फूल सी बेटियां दूब सी बेटियां शुभ शगुन रोशनी बेटियां
✍️ कवि नीतेश राजकुमार गुप्ता सनातनी

©Instagram id @kavi_neetesh
  *विश्व विश्व बालिका दिवस पर कविता* :  *बेटियां*
#बालिकादिवस

*विश्व विश्व बालिका दिवस पर कविता* : *बेटियां* #बालिकादिवस #समाज

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