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कुछ रेह जाता है सबकुछ होकेभी कुछ कहाँनिया अधूरी


कुछ रेह जाता है सबकुछ होकेभी

कुछ कहाँनिया अधूरी रेह जाती है

वो सताती है सपनोमे आके

वो जगाती है खुले आँखोमे आकर

मेला जैसे लग जाता है 
दुकाने खुल जाती है
बरबादियोकी चिझे लेकर

कुछ रेह जाता है सबकुछ होकेभी
एक खलिश बस रेह जाती है

  #secondquote ek khalish

कुछ रेह जाता है सबकुछ होकेभी

कुछ कहाँनिया अधूरी रेह जाती है

वो सताती है सपनोमे आके

वो जगाती है खुले आँखोमे आकर

मेला जैसे लग जाता है 
दुकाने खुल जाती है
बरबादियोकी चिझे लेकर

कुछ रेह जाता है सबकुछ होकेभी
एक खलिश बस रेह जाती है

  #secondquote ek khalish
lalitsakpal3905

lalit sakpal

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