ए मेरे हमसफ़र, तुझसे अब इक मुलाक़ात ज़रूरी हुई, चैन से था दिल मेरा, इक ख़्वाब से तेरे फिर हलचल हुई। माना के तेरे रास्ते मेरी वीरान गलियों तक अब जाते नहीं, पर लंबी है ये रात, तेरे दीदार से ही होगी सुबह मेरी। अब भी तेरी हूँ मैं, तेरे दम से ही होगी मेरी साँस आख़री, सूनी मेरी बाहों को आज मुद्दत बाद तेरी बांहों की फिर तलब हुई। तारों के नीचे हमारा खोया हुआ जहाँ याद आता है ख़ूब, चल शुरू करें फिर वो कारवांँ के तुम बिन अब ये "नज़र" अधूरी हुई। इक तेरे ही नाम से दुनिया मेरी चाँद चाँद है, नूर है तू नज़र का, ये दुनिया ख़ार ख़ार हुई। तुझे हुआ कुछ नहीं बस बुरी निगाहों का मारा है, आ तेरी नज़रें उतारूँ मैं , हालत तेरी तार तार हुई। ♥️ Challenge-683 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।