#FourLinePoetry कभी झूटे सहारे ग़म में रास आया नहीं करते ये बादल उड़ के आते हैं मगर साया नहीं करते यही काँटे तो कुछ ख़ुद्दार हैं सेहन-ए-गुलिस्ताँ में कि शबनम के लिए दामन तो फैलाया नहीं करते वो ले लें गोशा-ए-दामन में अपने या फ़लक चुन ले मिरी आँखों में आँसू बार बार आया नहीं करते सलीक़ा जिन को होता है ग़म-ए-दौराँ में जीने का वो यूँ शीशे को हर पत्थर से टकराया नहीं करते जो क़ीमत जानते हैं गर्द-ए-राह-ए-ज़िंदगानी की वो ठुकराई हुई दुनिया को ठुकराया नहीं करते क़दम मय-ख़ाना में रखना भी कार-ए-पुख़्ता-काराँ है जो पैमाना उठाते हैं वो थर्राया नहीं करते 'नुशूर' अहल-ए-ज़माना बात पूछो तो लरज़ते हैं वो शाएर हैं जो हक़ कहने से कतराया नहीं करते (नुशूर वाहिदी) ©Ramesh Puri Goswami (ravi) #fourlinepoetry Pritam Hindu Ƥoͥisͣoͫή RIYA BHARTI Ekta Subh AS Negi