रिश्तों में दरार वसुधा है जननी , तो पिता है व्योम कैसा उत्कृष्ट नाता है इनका व्योम का भ्राता है आफ़ताब वसुधा का मायका है मह़ताब वसुधा और व्योम के मध्य ब़सता सारा कुटुम्ब हमारा सुना है ये छोटे- बड़े भेद नहीं करते जह़ां कोई नहीं रहता वहाँ भी ये जाते मह़ताब मामू को देख ,हम ख्वाब़ हैं बुनते आफ़ताब चाचू की उंगली थाम हम दिवा - रात्रि हम एक करते ऊर्जा और उमंग लिए फिरते नये - नये ख्वाब हकीकत करते सितारों के साथ के बिना भी तो जीवन पूरा नहीं होता #जिसके_हम_कुटुम्ब