शपथ-शपथ तू ले शपथ खुद पे विश्वास कर, अनन्त कर सोच तेरी, कदम की तू पहल कर ।। रुक गया क्यूँ तू, अपना अटल विश्वाश रख, धारा बनके निकलेगा, दरिया भी बन जायेगा, तू ले श्ापथ, नई एक पहल कर ।।। जल रहा जगत अगर, तपन को तू सहन कर, अगर नही रौशन फ़िज़ा तेरी, दीपक बन अँधेरे को सचेत कर, तू ले श्ापथ अपनी एक पहचान कर ।।। झुक जायेगा अम्बर भी, धरा तुझे पहचानेगी, बदलेगी लकिरे हाथो की, रौशन तेरा फ़साना होगा तू ले शपथ, भय का तू विनाश कर ।। @$रोहित सैनी$.. शपथ