हमनें जिस्म–ए–लिबास बदलना भी जायज़ न समझा वस्ल की रात के बाद लोगों... उसने जिस्म, घर, गांव, शहर, और औरत होने के मायने सब बदल दिए..! ©Suman Zaniyan #हिज्र