#5LinePoetry मैं हूँ चरागे सुब्ह , बुझा दीजिये मुझे ऐसे मिरी वफ़ा का, सिला दीजिये मुझे हर्फ़ ए ग़लत की तरह , मिटा दीजिए मुझे अब शब भी ढल चुकी है, उजाला भी हो चुका मैं हूँ चरागे सुब्ह, बुझा दीजिये मुझे हर्फ़ ए ग़लत - गलत अक्षर shah aftab ©Shah Aftab #5LinePoetry