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कैसे समझाओगे, कितना समझाओगे। जो जानना ही ना चाहे,

कैसे समझाओगे, कितना समझाओगे।
जो जानना ही ना चाहे, उसे कैसे बताओगे।।
जो सोया हो झूठ ही आंखे बंद किए।
 कितना झकझोरोगे, उसे कैसे जगाओगे।।

©अविरल आनंद जय हो
कैसे समझाओगे, कितना समझाओगे।
जो जानना ही ना चाहे, उसे कैसे बताओगे।।
जो सोया हो झूठ ही आंखे बंद किए।
 कितना झकझोरोगे, उसे कैसे जगाओगे।।

©अविरल आनंद जय हो